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कौतूहल

लॉक डाउन में बच्चों को सामुदायिक लाइब्रेरी से जोड़ने का प्रयास* पिछले 4 वर्षों में यूँ तो हमने लाइब्रेरी आधारित कार्य सरकारी विद्यालयों तक सीमित कर रखा था पर इस ‘कोरोना काल’ ने हमें यह प्रेरित किया की… Read More

पान्डेमिक के दौरान लाइब्रेरी के कुछ प्रयास और ‘प्रयोग’ के अनुभव

पिछले 4 महीने हम सभी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है और ऐसा कई बार हुआ जो हमें कुछ सोचने के लिए मजबूर किया: क्या विकास के जो ढकोसले हम पिछले कई वर्षों से पूरे विश्व और भारत में… Read More

शिक्षकों के साथ ‘बुक डिस्प्ले’ – दूसरे सत्र का अनुभव

‘शिक्षकों के लिए डिस्प्ले‘ का एक भाग आप लोगों ने पिछले सप्ताह पढ़ा |  इस सप्ताह क्या उनका ऊर्जा बना रहेगा? क्या वे किताबों से जुड़े रह पाएंगे? मेरे सामने किस प्रकार की चुनौतियाँ आई? इन सभी बातों को जाने के लिए मेरे अनुभव को एक बार जरूर पढ़ें और उचित सलाह दें | दूसरे डिस्प्ले का उद्देश्य शिक्षकों को बाल साहित्य के भिन्न-भिन्न पहलुओं तथा पुस्तकालय के किताबों में विविधता से रूबरू कराना था | 20 जनवरी 2020 को दूसरा डिस्प्ले लगा | इस दिन मैंने तीन किताबों का बूक टॉक किया था – “काली और धामिन साँप”, “रानू मैं क्या जानू ?” और “मुकुन्द और रियाज़” | विद्यालय में उपस्थित सभी शिक्षकों ने भाग लिया और चर्चा बहुत अच्छी चली |  | मैं बहुत खुश था और मन में बहुत सी आशाएं लेकर विद्यालय से चल दिया | 27 जनवरी 2020 को मैं पुनः शेरपुर विद्यालय पहुँचा, प्रधानाचार्य से मिला और उन्होंने बताया की सभी शिक्षक आपका इस बार फिर से इंतज़ार कर रहे हैं | अभी लंच में कुछ समय बाकी है, आप बैठिये | मैं ऑफिस में बैठकर लेन-देन पंजी देख रहा और खुश था की सभी ने किताबे जारी किया था |  टेबल पर भी कम किताबे थी और मैं अंदर ही अंदर सोचने लगा की आज चर्चा गंभीर होने वाली है | तभी लंच की घंटी बजी | सभी शिक्षक आए और वे मुझे देखकर एक प्यारी मुस्कान से मेरा स्वागत किया | मैंने भी सभी को नमस्कार किया और सत्र को आगे बढ़ाया |  प्रधानाचार्य जीतेन्द्र सर द्वारा “बाल्टी के अंदर समंदर” पर Book Talk एवं चर्चा, 27 जनवरी मैं कुछ कहता उससे पहले प्रधानाचार्य उठे और बोले की आप बैठिए आज मैं शुरू करता हूँ, यह सुनते ही मैं सोचने लगा की अब सर क्या करेंगे ? अगर ऐसा सवाल पूछ दिये और मैं नहीं बताया तो क्या सोचेंगे ? न जाने कुछ ही समय में मैं क्या-क्या सोचने लगा था | लेकिन जब उन्होने किताब उठाया तो जान में जान आई | उन्होने “बाल्टी के अंदर समंदर” किताब के बारे में चर्चा शुरू किया | उन्होने कहा की इस किताब में अक्षर तो बहुत कम लिखा है लेकिन इस किताब पर बच्चों से बहुत अच्छी चर्चा हो सकती है | हमलोग बच्चों को जलचक्र के बारे में बताते हैं की वर्षा कैसे होती है ? उसी पर आधारित किताब है | इस किताब के मदद से बच्चों को जलचक्र की पूरी प्रक्रिया को बता सकते है और इसमें बहुत ही अच्छे-अच्छे चित्र हैं  | मैंने इस किताब का नाम पढ़ा और इसके तरफ आकर्षित हो गया की इस किताब का नाम ‘बाल्टी के अंदर समंदर’ है और क्या सच में बाल्टी में समंदर हो सकता है ? इस किताब को पढ़ने के बाद मुझे लगा की हाँ – बाल्टी के अंदर समंदर हो सकता है,  बस हमें देखने और सोचने का नजरिया चाहिए | रीता मैडम द्वारा “ख़त” पर Book Talk एवं चर्चा, 27 जनवरी उसके बाद रीता मैडम ने “खत” किताब के बारे… Read More

शिक्षकों के साथ ‘बुक डिस्प्ले’ पर मेरा अनुभव

बच्चों के लिए तो किताबों का डिस्प्ले बहुत बार लगाया था, लेकिन जब बात शिक्षकों की आई की मुझे शिक्षकों के लिए ‘Book Display’ लगाना होगा तो मुझे बहुत डर लगा |  मैं तो बहुत प्रयास किया की… Read More

Platform number 3: The last hope

Where have the ‘words of wisdom’ flown off: Changing stocks at the book stores It was an early afternoon on September 4th in Kuchaikote block of Gopalganj (Bihar). As part of our intervention on ‘best practices’ in rural… Read More

Dreams do turn out to be true

One should always dream One should always welcome failures, they are just to make you better One should always keep the dream close to one’s heart Dreams are beautiful. They are the best friends when you know that… Read More